भारत की राष्ट्रपति, ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 05.12.2024
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 5 दिसंबर, 2024 को भुवनेश्वर, ओडिशा में ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत समारोह छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अब एक अलग दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, जहां उनके ज्ञान और कौशल की व्यावहारिक दुनियावी स्थितियों में कठोर परीक्षा होगी। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपने द्वारा अर्जित ज्ञान और कौशल का सर्वोत्तम इस्तेमाल करते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य में योगदान देने हेतु अपने नवोन्मेषी विचारों को उपयोग में लाएँ और इसके लिए समर्पित भाव से कार्य करें। राष्ट्रपति ने कहा कि एक समय था जब हम खाद्यान्न के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे। अब हम खाद्यान्न और अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। यह हमारे कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन और हमारे किसानों के अथक परिश्रम के कारण ही संभव हो पाया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि क्षेत्र और किसानों के विकास के बिना देश का समग्र विकास संभव नहीं है। कृषि, मत्स्य पालन और पशुधन का विकास हमारी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज कृषि क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव, प्रति व्यक्ति जोत का आकार कम होना और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन जैसी नवीन चुनौतियों से जूझ रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे वैज्ञानिकों को समय रहते प्रौद्योगिकियों का विकास और प्रसार करना होगा। हमें पर्यावरण संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, जल तथा मृदा-संरक्षण पर बल देना होगा और प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर ढंग से उपयोग करना सुनिश्चित करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दे, जैसे तापमान में वृद्धि और ग्रीनहाउस गैसों का प्रसार, कृषि उत्पादन को प्रभावित कर रहा है। यह कृषि वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वे ऐसे सभी मुद्दों का निराकरण करें। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग भी हमारे कृषि क्षेत्र के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है। मिट्टी, पानी और पर्यावरण पर इनका दुष्प्रभाव सभी के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा वैज्ञानिक इन समस्याओं से निपटने का उपाय अवश्य खोज निकालेंगे।